
माधव राष्ट्रीय उद्यान:
मध्यप्रदेश के उत्तरी हिस्से में शिवपुरी शहर के नजदीक स्थित माधव राष्ट्रीय उद्यान न केवल प्राचीन राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है, अपितु यह प्राकृतिक, पुरातत्व तथा वास्तु शिल्पीय आश्चर्यों का मिश्रित नमूना है। माधव राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1956 में हुई थी। उद्यान में स्थित सेलिंग क्लब के चारों ओर फैली विशाल साख्या सागर झील और वनाच्छादित विंध्याचल पर्वत श्रेणी का दृश्य सम्मोहक है।
कूं-कूं कर तेजी से उड़कर जाता हुआ किंगफिशर, कर्कश स्वर में कांव-कांव करता हुआ भूरा बगुला, कां-कां करती हुई चित्तीदार चोंच वाली बतख, झील के तट पर अपने एक पांव को समेटे हुये विश्राम करते लैसर विसलिंग टील और वन में चरते हुये चीतल, साम्भर, तथा नीलगाय सभी कुछ माधव राष्ट्रीय उद्यान के सौन्दर्य में वृद्धि करते हैं।
माधव राष्ट्रीय उद्यान वस्तुतः भूतपूर्व ग्वालियर राज्य की आरक्षित शिकारगाह थी। मुगलों के शासन काल में इसके घने जंगल मुगल बादशाहों के शिकारगाह थे। अकबर द्वारा यहाँ से हाथियों के काफी झुंड पकड़े गये थे । उद्यान में स्थित विशाल सेलिंग क्लब, जार्ज कैसल, बारादरी, भूरा- खो वाँच टावर, गोल्फ टावर, शूटिंग बाक्स, सुल्तान होटल आदि राजघराने के अवशेष हैं।
जॉर्ज कैसल कोठी:
उद्यान के मध्यवर्ती क्षेत्र में सबसे अधिक ऊंचाई लगभग 484 मीटर पर बनी भव्य इमारत जार्ज कैसल के निर्माण की कहानी काफी रोचक है। सन् 1911 में ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम भारत के दौरे पर आये थे। उनके बाघ का शिकार करने एवं रात्रि विश्राम हेतु जॉर्ज कैसल का निर्माण कराया गया था, परन्तु वे बाघ का शिकार रास्ते में ही करने में सफल हो गये और वह यहाँ पर नही रूकें।
सांख्या सागर झील:
सन 1918 में महियर नदी पर साख्या सागर झील एवं माधव लेक का निर्माण किया गया था। साख्या सागर और माधव लेक दोनों ही उद्यान के जैव प्रणालियों के लिये अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। साख्या सागर झील पर बना बांध वास्तु-शिल्प का अद्भूत नमूना है। आधे चन्द्रमा के आकार में बना यह बांध 2145 मीटर लम्बा है एवं इसकी ऊंचाई लगभग 13 मीटर है। इसमें पानी के निकास हेतु दो दरवाजे हैं जिनसे तालाब में पानी की मात्रा को नियंत्रित किया जाता है।
आधे चन्द्रमा के आकार के बने बांध के कारण इस झील को चांदपाठा तालाब भी कहा जाता है। साख्या सागर झील में 100 से अधिक संख्या में मगर एवं विभिन्न प्रजातियों की मछलियाँ बहुतायत में विद्यमान हैं। वर्तमान में साख्या सागर झील मगर सफारी Safari) के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। पर्यटक क्रूज बोट एवं पैडल बोट के द्वारा मगर सफारी एवं नौकायान का आनन्द ले सकते है।