शिवपुरी

आनंद मार्ग जागृति में धर्म चक्र का आयोजन किया गया

शिवपुरी। रविवार को आनंद मार्ग प्रचारक संघ शाखा शिवपुरी कि आनंद मार्ग जागृति विवेकानंद कॉलोनी शिवपुरी में धर्म चक्र का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अष्टक्षरी सिद्ध मंत्र”बाबा नाम केवलम’ अखंड कीर्तन एवं मिलित योग ध्यान साधना की गई।

इस अवसर पर आनंद मार्ग प्रचारक संघ की संभागीय सचिव एवं आनंद मार्ग विद्यालय की प्राचार्या अवधूतिका आनंदकुसुमांजलि आचार्या द्वारा मानव जीवन में “खंड और अखंड दृष्टि” विषय पर भक्तगणों को संबोधित किया गया। उन्होंने बताया कि बाबा श्री श्री आनंदमूर्ति जी द्वारा इस विषय में कहा गया है कि यह विश्व ब्रह्मांड भूमामानस की कल्पना में सृष्ट है। अतः विश्व की व्यक्त- अव्यक्त प्रत्येक सत्ता उसी विराट मन में स्थित है।

परमात्मा ही सभी कुछ के मूल कारण हैं। केवल कारण ही नहीं, वे ही सबकी ज्ञातृसत्ता हैं, वे ही साक्षीसत्ता है। वे हैं और वे चाहते हैं इसलिए मैं हूं ।उनके बिना और किसी दूसरी सत्ता की कल्पना नहीं की जा सकती है। अतः प्रत्येक असत् वस्तु की वे ही परमागति हैं। तब भी अज्ञानवश जीव समझता है कि परमात्मा के सिवा भी दूसरा कुछ है। ऐसा समझने वाले को उस समय की इस दृष्टि को खण्ड दृष्टि या जागतिक दृष्टि कहते हैं। जहां जीव समझता है कि परमात्मा के अतिरिक्त और कुछ नहीं है, जो कुछ है, सब परमात्मा का विभिन्न विकास मात्र है, जीव की इस दृष्टि को अखण्ड दृष्टि या पारमार्थिक दृष्टि कहते हैं। सम्प्रज्ञात, असम्प्रज्ञात ,सविकल्प ,निर्विकल्प- साधना जगत की इन ऊंची अवस्थाओं की प्राप्ति के लिए अखंड दृष्टि आवश्यक है।

संसार में आध्यात्मिक चर्चा का ह्रास हो तो समझना चाहिए की उपयुक्त शिक्षार्थी और तत्वदर्शी आचार्य की कमी हो गई है। उपयुक्त आचार्य वे हैं जो अपने जीवन में अखंड दृष्टि के अधिकारी तो हैं ही, अपने अनुयायियों में इस व्यापक दृष्टि के विकास के लिए सत् चेष्टाशील रहते हैं। उन्होंने आगे कहा कि मनुष्य को आध्यात्मिक जीवन में अखंड दृष्टि रखते हुए परमात्मा की तरफ बढ़ना चाहिए तभी वह परमसत्ता और परम पद को प्राप्त कर सकता है।

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